Science Long Question Answer matric Bihar Board 2025

नमस्ते,

जय हिंद

बिहार बोर्ड मैट्रिक की वार्षिक बोर्ड परीक्षा होने  वाला  है ।

जिसमें आपके class का 5  अनिवार्य  विषय  में  से एक

विज्ञान का ऑब्जेक्टिव  और  सब्जेक्टिव  हमारे वेबसाइट

Alok  Official  के  द्वारा आप सब  को  लिखित रूप में

दिया जा रहा है । इस  पार्ट  में  हम  सब्जेक्टिव  के अन्तर्गत

आने  वाले  दीर्घ  उत्तरीय  प्रश्न  उत्तर  का विश्लेषण करेंगें ।

कम समय से अधिक अंक प्राप्त करने के लिए हमारे एक से

एक बेहतरीन कंटेंट को जरूर देखें  ।

Matric Science Long Question answer

1) मेंडलीफ के आवर्त सारणी के प्रमुख दोष को स्पष्ट

 करें ?

उत्तर– मेंडलीफ के आवर्त सारणी का मुख्य दोष निम्नलिखित है-

a) हाइड्रोजन का स्थान– इसका संयोजकता 1 होता है ।

क्षार धातु से समानता होने कारण इसे 1A में क्षार

धातु के साथ रखा गया है ।

b) तत्त्वों का खुद के नियम के विरुद्ध 

रखना- मेंडलीफ का आवर्त सारणी नियम

परमाणु द्रव्यमान के बढ़ते क्रम में है इसके

बावजूद आवर्त सारणी में कम द्रव्यमान वाले

तत्त्व को अधिक द्रव्यमान वाले तत्त्व के

बाद रखा गया है ।

c) समस्थानिक के लिए स्थान– इनके

आवर्त्त सारणी में समस्थानिक के लिए

कोई स्थान निर्धारित नहीं किया गया है ।

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2• लोहा के दो मुख्य अयस्क के नाम 

लिखें साथ ही निष्कर्षण की विधि का 

वर्णन करे ?

उत्तर– लोहा का दो मुख्य अयस्क हेमेटाइट

और मैग्नेटाइट है ।

मुख्यतः लोहा का निष्कर्षण

हेमेटाइट अयस्क से किया जाता है ।

सांद्रण- अयस्क को छोटे छोटे टुकड़े में

तोड़ने के बाद अयस्क पर पानी प्रवाहित

किया जाता है जिससे मिट्टी तथा बालू

पानी के साथ अलग हो जाता है ।

भर्जन– हवा की अधिकता में सांद्रित अयस्क

को गर्म किया जाता है जिससे

a) जल और कार्बनडाइऑक्साइड अलग

हो जाता है ।

b) सल्फर और आर्सेनिक वाष्पशील

ऑक्साइड के रूप में अलग हो जाता है ।

c) फेरस ऑक्साइड फेरिक ऑक्साइड में

बदल जाता है ।

प्रद्रावण– भर्जित अयस्क को चूना पत्थर

और कोक के साथ वात-भट्टी में ऊपर से

नीचे गिराया जाता है । वात-भट्टी के निचले

भाग से गर्म हवा भट्टी में डाला जाता है ।

इस प्रक्रम में वात-भट्टी के विभिन्न भाग

विभिन्न अभिक्रिया होता है और सबसे

निचले भाग में कच्चा लोहा प्राप्त होता है ।

3• विधुत मोटर का सिद्दांत तथा कार्यविधि का वर्णन करें ? इसका नामांकित आरेख
 भी बनायें ।

उत्तर
विधुत मोटर विधुत यंत्र जो विधुत ऊर्जा
को यांत्रिक ऊर्जा में बदलता है ।

बनावट– इसमें  एक    शक्तिशाली    नाल

चुम्बक होता है जिसे क्षेत्र चुम्बक कहते

हैं, इसके ध्रुवों के बीच क्षैतिज अक्ष पर

घूर्णन करने वाली एक कुंडली होती है ।

इसको आर्मेचर कहा जाता है । इसके ऊपर

कुंडली नर्म लोहे पर लपेटा होता है । इसको

आर्मेचर का क्रोड कहते हैं । आर्मेचर के

तार का छोर पीतल के वलयों से ढ़का

होता है जो इन वलयों द्वारा कार्बन की

पत्तियाँ को हल्का स्पर्श करता है, पत्तियाँ

को ब्रश कहा जाता है जिसके पेंचों से

परिपथ को जोड़ा जाता है ।

कार्यविधि– जब आर्मेचर से विधुत धारा प्रवाहित

की जाती है तो चुम्बकीय क्षेत्र

के लम्बवत आर्मेचर की दोनों भुजाएं में

फ्लेमिंग के वाम हस्त नियम के अनुसार

बल का अनुभव होता है । यह बल समान

परिमाण का विपरित दिशा में होता है ।

यही बल युग्म आर्मेचर को घुमाता है ।
विधुत मोटर में उप्लब्ध वलय
दिशापरिवर्तक का कार्य करता है ।
पहले एक भुजा पर नीचे के तरफ बल लगता है
 तथा दूसरे पर ऊपर
के तरफ । यही क्रिया लगातार जारी
रहता है ।

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4• रसायनिक गुण के आधार परधातु और अधातु में अन्तर स्पष्ट करें ?
उत्तर
धातु:
a) धातु का आक्साइड क्षारीय होता है ।
b) धातु विधुत धनात्मक होता है ।
c) यह अम्ल से अभिक्रिया करके लवण
और हाइड्रोजन गैस बनाता है ।
अधातु:
a) अधातु का आक्साइड अम्लीय होता है ।
b) अधातु विधुत ऋणात्मक होता है ।
c) यह अम्ल से अभिक्रिया करके लवण
और हाइड्रोजन गैस नहीं बनाता है ।
5• मानव पाचन तंत्र को सचित्र वर्णन
करें ।
उत्तर– मानव पाचन की क्रिया मुख से
आरम्भ होकर छोटी आँत में समाप्त होता
है । पाचन तंत्र का मुख्य अंग कार्य सहित निम्न है-
a) मुख– इसके द्वारा भोजन खाया जाता है । मुख में उपस्थित लार ग्रंथि से लार भोजन
में मिलता है । लार में उपस्थित टॉयलिन
भोजन के स्टार्च को माल्टोस में बदलता है ।
b)आमाशय– भोजन चबाने के पश्चात  ग्रासनली होकर आमाशय में प्रवेश करता है । आमाशय में जठर
रस का स्राव होता है ।
c) यकृत– यह आमाशय से जुड़ा होता है ।
जो कि मानव शरीर का सबसे बड़ी है ।
d) छोटी आँत– आमाशय के पश्चात भोजन
छोटी आँत में प्रवेश करता है । यह आहारनाल
का सबसे लम्बा भाग होता है ।
छोटी आँत में उपस्थित ग्रहणी में भोजन
के साथ पित्त, अग्न्याशयी रस तथा इन्सुलिन
मिलता है ।
e ) बड़ी आँत– बिना पचा हुआ भोजन
इलियम के द्वारा इसमें आता है । यहाँ
अपचे भोजन के अतिरिक्त जल का अवशोषण होता है ।
f) मूत्राशय– बिना पचा भोजन अस्थायी
रूप से इसमें जमा रहता है ।
g) मलद्वार– समय समय पर बिना पचा
भोजन मलद्वार के द्वारा शरीर से बाहर
उत्सर्जित होता है ।
6) ऊर्जा के स्रोत से क्या तात्पर्य है  ? 
उत्तर – वह वस्तु या पदार्थ जो किसी तरह से ऊर्जा देती
है उसे ऊर्जा का स्रोत कहा जाता है  । जैसे – जल विधुत
ऊर्जा बनाने के लिए पानी को ऊँचाई से गिराया जाता है  ।
i) स्थितिज ऊर्जा से गतिज ऊर्जा: जब हम पानी को
बहुत ऊँचाई पर रोकते हैं तो उसमें स्थितिज ऊर्जा
होता है फिर जब उसे गिराया जाता है तो स्थितिज
ऊर्जा गतिज ऊर्जा में बदल जाती है ।  जिससे विधुत
ऊर्जा उत्पन्न होता है ।
ii) उचित ऊष्मा वाले ऊर्जा:  कुछ ईंधन बिना जले
ऊर्जा प्रदान नहीं करता है । जैसे – पेट्रोल, कोयला,
डीजल, किरोसीन तेल इत्यादि ।
iii) भंडारण और परिवहन में सुविधा: वैसे ऊर्जा जिसका
भंडारण और परिवहन आसान हो उसे ही उत्तम ऊर्जा
स्रोत के रूप में उपयोग किया जाता है  ।
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By Alok Official

I did class 10th with 82% marks and class 12 with 87% marks, I did graduation in Mathematics.

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