नमस्ते,
जय हिंद
बिहार बोर्ड मैट्रिक की वार्षिक बोर्ड परीक्षा होने वाला है ।
जिसमें आपके class का 5 अनिवार्य विषय में से एक
विज्ञान का ऑब्जेक्टिव और सब्जेक्टिव हमारे वेबसाइट
Alok Official के द्वारा आप सब को लिखित रूप में
दिया जा रहा है । इस पार्ट में हम सब्जेक्टिव के अन्तर्गत
आने वाले दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर का विश्लेषण करेंगें ।
कम समय से अधिक अंक प्राप्त करने के लिए हमारे एक से
एक बेहतरीन कंटेंट को जरूर देखें ।
Matric Science Long Question answer
1) मेंडलीफ के आवर्त सारणी के प्रमुख दोष को स्पष्ट
करें ?
उत्तर– मेंडलीफ के आवर्त सारणी का मुख्य दोष निम्नलिखित है-
a) हाइड्रोजन का स्थान– इसका संयोजकता 1 होता है ।
क्षार धातु से समानता होने कारण इसे 1A में क्षार
धातु के साथ रखा गया है ।
b) तत्त्वों का खुद के नियम के विरुद्ध
रखना- मेंडलीफ का आवर्त सारणी नियम
परमाणु द्रव्यमान के बढ़ते क्रम में है इसके
बावजूद आवर्त सारणी में कम द्रव्यमान वाले
तत्त्व को अधिक द्रव्यमान वाले तत्त्व के
बाद रखा गया है ।
c) समस्थानिक के लिए स्थान– इनके
आवर्त्त सारणी में समस्थानिक के लिए
कोई स्थान निर्धारित नहीं किया गया है ।
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2• लोहा के दो मुख्य अयस्क के नाम
लिखें साथ ही निष्कर्षण की विधि का
वर्णन करे ?
उत्तर– लोहा का दो मुख्य अयस्क हेमेटाइट
और मैग्नेटाइट है ।
मुख्यतः लोहा का निष्कर्षण
हेमेटाइट अयस्क से किया जाता है ।
सांद्रण- अयस्क को छोटे छोटे टुकड़े में
तोड़ने के बाद अयस्क पर पानी प्रवाहित
किया जाता है जिससे मिट्टी तथा बालू
पानी के साथ अलग हो जाता है ।
भर्जन– हवा की अधिकता में सांद्रित अयस्क
को गर्म किया जाता है जिससे
a) जल और कार्बनडाइऑक्साइड अलग
हो जाता है ।
b) सल्फर और आर्सेनिक वाष्पशील
ऑक्साइड के रूप में अलग हो जाता है ।
c) फेरस ऑक्साइड फेरिक ऑक्साइड में
बदल जाता है ।
प्रद्रावण– भर्जित अयस्क को चूना पत्थर
और कोक के साथ वात-भट्टी में ऊपर से
नीचे गिराया जाता है । वात-भट्टी के निचले
भाग से गर्म हवा भट्टी में डाला जाता है ।
इस प्रक्रम में वात-भट्टी के विभिन्न भाग
विभिन्न अभिक्रिया होता है और सबसे
निचले भाग में कच्चा लोहा प्राप्त होता है ।
उत्तर–
बनावट– इसमें एक शक्तिशाली नाल
चुम्बक होता है जिसे क्षेत्र चुम्बक कहते
हैं, इसके ध्रुवों के बीच क्षैतिज अक्ष पर
घूर्णन करने वाली एक कुंडली होती है ।
इसको आर्मेचर कहा जाता है । इसके ऊपर
कुंडली नर्म लोहे पर लपेटा होता है । इसको
आर्मेचर का क्रोड कहते हैं । आर्मेचर के
तार का छोर पीतल के वलयों से ढ़का
होता है जो इन वलयों द्वारा कार्बन की
पत्तियाँ को हल्का स्पर्श करता है, पत्तियाँ
को ब्रश कहा जाता है जिसके पेंचों से
परिपथ को जोड़ा जाता है ।
कार्यविधि– जब आर्मेचर से विधुत धारा प्रवाहित
की जाती है तो चुम्बकीय क्षेत्र
के लम्बवत आर्मेचर की दोनों भुजाएं में
फ्लेमिंग के वाम हस्त नियम के अनुसार
बल का अनुभव होता है । यह बल समान
परिमाण का विपरित दिशा में होता है ।
विधुत मोटर में उप्लब्ध वलय
दिशापरिवर्तक का कार्य करता है ।
पहले एक भुजा पर नीचे के तरफ बल लगता है
के तरफ । यही क्रिया लगातार जारी
रहता है ।
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उत्तर–
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