class 12 physics| Dual nature of Radiation and Matter| Bihar Board
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Table of Contents
Introduction
Dual Nature of Radiation किसी भी प्रकार के रोशनी के स्वभाव को व्यक्त करता है, जिसमें वह एक ही समय में दोनों तरलता और कणों के स्वभाव का एक समन्वित धारण करता है। इसे पहली बार निकोला टेस्ला ने संवर्धित रूप से वर्णित किया था । इसका परमाणु भौतिकी में महत्वपूर्ण और रोशनी के विभिन्न अन्वेषणों में प्रमुख भूमिका होती है । रोशनी का यह द्वैतीय स्वरूप प्रकाशिकीय परिणामों को अध्ययन करता है, जैसे कि प्रकाश का अस्तित्व एक भौतिक रचना के रूप में और प्रकाश के उपयोग के रूप में । इससे न केवल वैज्ञानिक अनुसंधान में बल्कि प्रौद्योगिकी में भी महत्वपूर्ण परिणाम प्राप्त होते हैं ।
Electron Emission
इलेक्ट्रॉन उत्सर्जन वह प्रक्रिया है जिसमें इलेक्ट्रॉन एक पदार्थ से अलग होता है और अपने पर्यायक अवस्थान में प्रवेश करता है। यह विभिन्न प्रकार की प्रेरणाधारित या अवसादित प्रक्रियाओं द्वारा हो सकता है, जैसे कि उदाहरण के लिए, विद्युत क्षेत्र, उदासीनन, अवरोधन या प्रकाश प्रेरितता।
Photoelectric Effect
फोटोइलेक्ट्रिक प्रभाव एक भौतिक विज्ञानीय प्रक्रिया है जिसमें प्रकाशिकीय प्रक्रिया के द्वारा एक पदार्थ से इलेक्ट्रॉनों को उत्सर्जित किया जाता है। जब किसी वस्तु को प्रकाश के तत्वों के साथ प्रेरित किया जाता है, तो इलेक्ट्रॉनों को उत्सर्जित किया जाता है, जो उस वस्तु से मुक्त हो जाते हैं। यह प्रक्रिया अवशोषण के विपरीत है, जिसमें प्रकाशिक तरंगों के एक वस्तु से उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों को धारण किया जाता है। इस प्रभाव की खोज एल्बर्ट आइंस्टीन द्वारा 1905 में की गई थी ।
Particle Nature of Light: Photon
फोटॉन एक क्वांटम और आधुनिक भौतिकीय सिद्धांत है जो प्रकाश के कणात्मक स्वरूप को व्याख्या करता है। यह प्रकाश के एक न्यूनतम शिक्षक होता है, जो प्रकाश के प्रकरणों को व्याख्या करता है, जैसे उसकी ऊर्जा, दिशा और दिशानिर्देश। फोटॉन की ऊर्जा उसके तरंगद्रुवीय प्रकार पर निर्भर करती है, जो प्रकाशीय और अप्रकाशीय उभार के रूप में देखा जा सकता है। इसे एल्बर्ट आइंस्टीन द्वारा वर्ष 1905 में प्रस्तुत किया गया था।
Wave Nature of Matter
पदार्थ का तरंग रूप वह भौतिकीय सिद्धांत है जो बताता है कि पदार्थ (जैसे कि इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन, और अतिकर्मणीय हलके नैयूट्रॉन्स) तरंगों की तरह व्यवहार करते हैं। यह सिद्धांत क्वांटम मैकानिक्स के तहत प्रकट होता है और विभिन्न प्रमाणों में परीक्षित और सिद्ध किया गया है। इस सिद्धांत के अनुसार, पदार्थ के अणुत्व के समय, उसकी स्थिति और गति का माप तथा प्रमाणन करने के लिए तरंगों के विशेष प्रवाह का अध्ययन किया जाता है। इस सिद्धांत के आधार पर विभिन्न प्रयोग और थियोरी विकसित की गई हैं, जैसे कि डी ब्रोग्ली के सिद्धांत और श्रेडिंगर की बहुआयामी लचीलाई सिद्धांत।
Objective Question Answer Bihar Board
1. जब प्रकाश किसी धातु की सतह पर आपतित होता है तो उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की गतिज ऊर्जा का क्या होता है ?
a) यह प्रकाश की आवृत्ति के साथ बदलता रहता है
b) यह प्रकाश की तीव्रता के साथ बदलता रहता है
c) यह प्रकाश की गति के साथ बदलता रहता है
d) यह अनियमित रूप से बदलता रहता है
Ans- a) यह प्रकाश की आवृत्ति के साथ बदलता रहता है
2. Photoelectric Cell एक उपकरण है जो
a) विद्युत को प्रकाश ऊर्जा में परिवर्तित करता है
b) प्रकाश ऊर्जा को विद्युत में परिवर्तित करता है
c) बिजली का भंडारण करता है
d) प्रकाश ऊर्जा को संग्रहित करता है
उत्तर: (b) प्रकाश ऊर्जा को विद्युत में परिवर्तित करता है।
3. Photoelectric Effect संरक्षण के नियम पर आधारित है
a) कोनेदार गति
b) गति
c) द्रव्यमान
d) ऊर्जा
उत्तर: (d) ऊर्जा
4. Photon विक्षेपित होते हैं
a) विद्युत चुम्बकीय
b) केवल विद्युत क्षेत्र
c) केवल चुंबकीय क्षेत्र
d) इनमे से कोई भी नहीं
उत्तर: (d) उपरोक्त में से कोई नहीं
5. Cathode Rays किससे बनी होती है?
a) प्रोटान
b) फोटॉनों
c) Electrons
d) अल्फा कण
उत्तर: (c) इलेक्ट्रॉन
Short Answer Question Answer Bihar Board
Q. देहली आवृत्ति (threshold frequency) और कार्यफलन (work function) से क्या समझते हैं ?
उत्तर: .देहली आवृत्ति – प्रकाश की वह न्यूनतम आवृत्ति जो किसी धातु से इलेक्ट्रॉन को उत्सर्जन कर सके। उसे धातु की देहली आवृत्ति कहते हैं। इसकी SI मात्रक Hz है।
कार्यफलन: वह न्यूनतम ऊर्जा जिसके कारण इलेक्ट्रॉन को धातु सिर्फ पृष्ठ पर लाता है। उसे कार्यफलन कहते है। इसे से निरूपित करते है। इसकी SI मात्रक जूल है। यह हमेशा eV में मापा जाता है।
Φο = hv
जहाँ
h = प्लांक स्थिरांक है और v = देहली आवृति है।
निरोधी विभवः वह न्यूनतम ऋणात्मक विभव है जिसके कारण विद्युत धारा का मान शून्य हो जाती है उसे निरोधी विभव कहते हैं। यह इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा का माप करता है। i.e.
1/2mV*2max = evo
Long Answer Question Answer Bihar Board
Q. प्रकाश विद्युत उत्सर्जन को समझाइए। प्रकाश-विद्युत प्रभाव के नियम क्या-क्या है? आइंस्टीन द्वारा की गई इसकी व्याख्या को बताइए।
उत्तर- प्रकाश-विद्युत उत्सर्जन-जब प्रकाश किसी धातु की सतह पर गिरता है तो धातु से इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित होने लगता है। इस घटना को प्रकाश-विद्युत उत्सर्जन कहते हैं।
व्याख्या – धन प्लेट पर किरणें डालने पर प्लेट में से निकलने वाले इलेक्ट्रॉन अपने ऋण आवेश के कारण ऋण प्लेट पर नहीं जा पाते, क्योंकि इन इलेक्ट्रॉनों तथा ऋण प्लेट के बीच प्रतिकर्षण बल कार्य करने लगता है।
प्रकाश-विद्युत प्रभाव के नियम-
(i) यदि आपतित प्रकाश की आवृत्ति एक न्यूनतम मान (जिसे देहली, आवृत्ति कहते है) से कम है तो धातु से कोई प्रकाश-इलेक्ट्रॉन नहीं निकलेगा।
(ii) प्रकाश-विद्युत धारा विकिरण की तीव्रता के समानुपाती होता है।
(iii) प्रकाश इलेक्ट्रॉन की महत्तम गतिज ऊर्जा विकिरण की आवृत्ति के समानुपाती होता है।
आइंस्टीन का प्रकाश-विद्युत समीकरण– आइंस्टीन के अनुसार एक फोटॉन
की ऊर्जा दो भागों में खर्च होती है। एक भाग कार्य फलन के विरोध में तथा बचा हुआ भाग प्रकाश इलेक्ट्रॉन के महत्तम गतिज ऊर्जा में। माना कि फोटॉन की ऊर्जा hv है, तो
hv = कार्यफलन + महत्तम गतिज ऊर्जा जहाँ h = प्लांक स्थिरांक है जब फोटोन, इलेक्ट्रॉन पर h ऊर्जा से गिरता है जिसके कारण इलेक्ट्रॉन सर्वप्रथम कार्यफलन (आन्तरिक बल) से बाहर होता है और गतिज ऊर्जा के साथ सतह को छोड़ता है।
1 2 LE=hv = hu+mv max 1 0 2 = h(v-) 1 2 -mv 2 max
यही आइंस्टीन का समीकरण है।
Keywords
Wave-particle duality
Dual Nature of Radiation and Matter
Quantum mechanics
Electromagnetic radiation
Photon
Matter waves
Particle-wave duality
Subatomic particles
Quantum physics
Photoelectric effect
Complementarity principle