chemistry class 12| Bihar Board| Coordination Compound
Coordination Compound रसायन विज्ञान में एक प्रकार का यौगिक है जिसमें एक केंद्रीय धातु परमाणु या आयन होता है, जो अन्य अणुओं या आयनों के साथ समन्वित रूप से जुड़ा होता है । इन अणुओं या आयनों को ligands कहा जाता है । समन्वय यौगिकों में लिगैंड्स केंद्रीय धातु के चारों ओर एक निश्चित तरीके से बंधे होते हैं ।
उदाहरण के लिए, हेमोग्लोबिन, जो हमारे खून में ऑक्सीजन ले जाता है, एक समन्वय यौगिक है जिसमें लोहा (Fe) केंद्रीय धातु है और ऑक्सीजन को पकड़ने के लिए अन्य लिगैंड्स के साथ जुड़ा हुआ है ।
समन्वय यौगिकों का रासायनिक सूत्र और संरचना विशेष रूप से जटिल हो सकती है, लेकिन उनका सामान्य सिद्धांत यही है कि एक केंद्रीय धातु अन्य लिगैंड्स के साथ समन्वय में जुड़ा होता है ।
Table of Contents
Important Topics of Coordination Compound
Properties of coordination compound
समन्वय यौगिकों (Coordination Compounds) के कई महत्वपूर्ण गुण होते हैं जो उन्हें रसायन विज्ञान और औद्योगिक अनुप्रयोगों में महत्वपूर्ण बनाते हैं। यहाँ कुछ मुख्य गुणों का विवरण है:
संरचना और विन्यास (Structure and Geometry):
- समन्वय यौगिकों में एक केंद्रीय धातु परमाणु या आयन होता है जो अन्य अणुओं या आयनों (लिगैंड्स) के साथ समन्वित रूप से जुड़ा होता है। इन यौगिकों की संरचना जटिल हो सकती है और यह लिगैंड्स की संख्या और उनके प्रकार पर निर्भर करती है। सामान्य ज्यामितीय संरचनाओं में ऑक्टाहेड्रल, टेट्राहेड्रल, और स्क्वायर-प्लेनर शामिल हैं।
रंग (Color):
- कई समन्वय यौगिक रंगीन होते हैं क्योंकि उनमें इलेक्ट्रॉन संक्रमण होते हैं। यह रंग उनके उपयोग को विश्लेषणात्मक रसायन विज्ञान और रंजक उद्योगों में महत्वपूर्ण बनाता है।
चुंबकीय गुण (Magnetic Properties):
- समन्वय यौगिकों के चुंबकीय गुण उनके केंद्रीय धातु के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास और समन्वय ज्यामिति पर निर्भर करते हैं। कुछ यौगिकों में अनपेयर्ड इलेक्ट्रॉन्स होते हैं, जिससे वे डायमैग्नेटिक या पैरामैग्नेटिक हो सकते हैं।
संयोजकता (Stability):
- समन्वय यौगिकों की स्थिरता उनके लिगैंड्स की प्रकृति और उनके केंद्रीय धातु के ऑक्सीकरण अवस्था पर निर्भर करती है। कुछ यौगिक अत्यधिक स्थिर होते हैं, जबकि अन्य अस्थिर होते हैं।
प्रतिस्थापन प्रतिक्रिया (Substitution Reactions):
- समन्वय यौगिकों में लिगैंड्स को प्रतिस्थापित करने की क्षमता होती है, जिससे ये यौगिक रसायनिक प्रतिक्रियाओं के लिए उपयोगी बनते हैं। यह गुण औद्योगिक और जैविक प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण है।
- इन गुणों के कारण समन्वय यौगिकों का अध्ययन और उनका उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में होता है, जैसे रसायन शास्त्र, औद्योगिक प्रक्रिया, जैव रसायन, और चिकित्सा विज्ञान।
coordination complex
समन्वय यौगिक (Coordination Complex) रसायन विज्ञान में एक प्रकार का यौगिक होता है जिसमें एक केंद्रीय धातु परमाणु या आयन होता है जो अन्य अणुओं या आयनों के साथ एक समन्वित तरीके से जुड़ा होता है |
Example: अमोनिया के साथ कॉपर (II) सल्फेट का यौगिक है, जिसमें कॉपर केंद्रीय धातु है और अमोनिया लिगैंड के रूप में कार्य करता है। अन्य सामान्य समन्वय यौगिकों में हीमोग्लोबिन, जो हमारे खून में ऑक्सीजन ले जाता है, और क्लोरोफिल, जो पौधों में प्रकाश संश्लेषण के लिए ज़िम्मेदार है, शामिल हैं ।
Types of Coordination Compound
समन्वय यौगिकों का वर्गीकरण उनके विभिन्न गुणों और संरचनाओं के आधार पर किया जा सकता है |
- केंद्रीय धातु के आधार पर (Based on Central Metal):
- समन्वय यौगिकों को केंद्रीय धातु के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, यदि केंद्रीय धातु कॉपर है, तो इसे कॉपर(II) समन्वय यौगिक कहा जाएगा।
- लिगैंड के आधार पर (Based on Ligands):
- लिगैंड्स के प्रकार और संख्या के आधार पर समन्वय यौगिकों को वर्गीकृत किया जा सकता है। लिगैंड्स मोनोडेंटेट (एक समन्वय बंध), बायोडेंटेट (दो समन्वय बंध), या पॉलीडेंटेट (एक से अधिक समन्वय बंध) हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, एथिलीनडायमाइन बायोडेंटेट लिगैंड है, जबकि EDTA पॉलीडेंटेट लिगैंड है।
- समन्वय संख्या के आधार पर (Based on Coordination Number):
- यह वर्गीकरण केंद्रीय धातु के चारों ओर लिगैंड्स की संख्या के आधार पर किया जाता है। उदाहरण के लिए, ऑक्टाहेड्रल समन्वय यौगिकों में केंद्रीय धातु के चारों ओर छह लिगैंड्स होते हैं, जबकि टेट्राहेड्रल में चार।
- ज्यामिति के आधार पर (Based on Geometry):
- समन्वय यौगिकों की ज्यामिति विभिन्न प्रकार की हो सकती है, जैसे कि ऑक्टाहेड्रल, टेट्राहेड्रल, स्क्वायर-प्लेनर, ट्राइगोनल बाइपाइरामिडल, आदि।
- आइसोमेरिज़्म (Isomerism):
- समन्वय यौगिक आइसोमेरिज़्म प्रदर्शित कर सकते हैं, जिसमें यौगिक के अलग-अलग रूप होते हैं जिनका रासायनिक सूत्र एक ही होता है लेकिन संरचना या स्थानिक व्यवस्था में अंतर होता है। मुख्य प्रकार के आइसोमेरिज़्म में ज्यामिति आइसोमेरिज़्म (जैसे सिस-ट्रांस) और ऑप्टिकल आइसोमेरिज़्म शामिल हैं।
- चार्ज के आधार पर (Based on Charge):
- समन्वय यौगिकों को उनके चार्ज के आधार पर भी वर्गीकृत किया जा सकता है। कुछ समन्वय यौगिक धनात्मक चार्ज वाले होते हैं, जिन्हें कैटायनिक समन्वय यौगिक कहते हैं, जबकि अन्य ऋणात्मक होते हैं, जिन्हें एनायनिक समन्वय यौगिक कहा जाता है। कुछ समन्वय यौगिकों में कोई चार्ज नहीं होता, जो न्यूट्रल होते हैं।
IUPAC nomenclature of coordination compounds
Define what is ligands
लिगैंड अणु या आयन होते हैं जो एक केंद्रीय धातु परमाणु या आयन के साथ एक समन्वय परिसर बनाते हैं, आमतौर पर समन्वय बंधन नामक प्रक्रिया के माध्यम से |
Types of Ligands
लिगेंड कई प्रकार के होते हैं, जिन्हें उनकी संरचना, समन्वय मोड, चार्ज और दाता परमाणुओं की संख्या के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। यहां कुछ सामान्य वर्गीकरण दिए गए हैं :
Charge के अनुसार:
Neutral Ligands : ये लिगैंड नेट चार्ज नहीं रखते हैं। उदाहरणों में पानी (H₂O), अमोनिया (NH₃), और कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) शामिल हैं।
Anionic Ligands: ये लिगैंड्स ऋणात्मक आवेश रखते हैं। सामान्य उदाहरण क्लोराइड (Cl⁻), हाइड्रॉक्साइड (OH⁻), और साइनाइड (CN⁻) हैं।
Cationic Ligands: ये कम आम हैं और नाइट्रोसोनियम (NO⁺) की तरह एक सकारात्मक चार्ज रखते हैं।
Based on no. of donor atoms :
Monodentate Ligands : लिगैंड जो एकल दाता परमाणु के माध्यम से धातु आयन के साथ समन्वय करते हैं, जैसे क्लोराइड (Cl⁻) या अमोनिया (NH₃)।
Bidentate Ligands : लिगैंड्स जो दो दाता परमाणुओं के साथ समन्वय करते हैं। एथिलीनडायमाइन (एन) एक सामान्य उदाहरण है।
Polydentate Ligands: दो से अधिक दाता परमाणुओं वाले लिगैंड, एक धातु आयन के साथ कई बंधन बनाने में सक्षम। एथिलीनडायमिनेटेट्राएसिटिक एसिड (ईडीटीए) एक प्रसिद्ध पॉलीडेंटेट लिगैंड है।
Based on Coordination Mode :
Terminal Ligands: लिगैंड जो एक धातु परमाणु के साथ बंधते हैं।
Bridging Ligands: लिगैंड जो दो या दो से अधिक धातु परमाणुओं को जोड़ते हैं, जैसे μ-ऑक्सो ब्रिज में ऑक्सीजन।
Based on structure :
Chelating Ligands: ये लिगैंड्स केंद्रीय धातु के साथ रिंग बना सकते हैं, आमतौर पर कई बॉन्ड बनाकर। केलेशन आम तौर पर कॉम्प्लेक्स की स्थिरता को बढ़ाता है।
Macrocyclic Ligands: ये लिगैंड्स एक बड़ी रिंग संरचना बनाते हैं, जो अक्सर धातु परिसर को उच्च स्थिरता प्रदान करते हैं।
Linear Ligands: इन लिगेंड्स में एक सरल, रैखिक संरचना होती है।
Applications of coordination compounds
प्रयोगशाला और जैविक अनुप्रयोग (Laboratory and Biological Applications):
- समन्वय यौगिकों का उपयोग कई प्रयोगशाला प्रक्रियाओं, जैसे कि टाइट्रेशन और विश्लेषण, में किया जाता है। इसके अलावा, कुछ जैविक यौगिक, जैसे हेमोग्लोबिन और क्लोरोफिल, भी समन्वय यौगिक हैं।
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