भारत में राष्ट्रवाद का उदय काफी देर से हुआ । यह विश्व के विभिन्न भागों में हुए क्रांति के बाद हुआ । काफी समय तक भारत अंग्रेज के उपनिवेश रहा । बहुत सारे गलत नियम और देशवाशियों के शोषण के बाद बहुत सारे नेता उभर कर आये । जैसे- महात्मा गॉंधी, जवाहर लाल नेहरू, सुभाष चंद्र बोस, सरदार पटेल, भगत सिंह, मोहम्मद अली जिन्ना, मौलाना अबुल कलाम आजाद इत्यादि । इन सब के काफी मेहनत के पश्चात् हमारा देश 15 अगस्त 1947 को अंग्रेज से आजाद हुआ ।
Table of Contents
Important topics of nationalism in India
1) सत्याग्रह का अर्थ
इसका शाब्दिक अर्थ सत्य के साथ आग्रह करना है । इसमें शांति के साथ विरोध प्रदर्शन अनशन पर बैठकर, आँखो में काली पट्टी बांधकर किया जाता है । इसका मुख्य हथियार सत्य और अहिंसा होता है ।
2) रॉलेट नियम ( Rowlatt Act)
रॉलेट एक्ट, जिसे आधिकारिक तौर पर 1919 के अराजक और क्रांतिकारी अपराध अधिनियम के रूप में जाना जाता है, भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार द्वारा पारित एक कानून था। इसे ब्रिटिश शासन के खिलाफ बढ़ती अशांति और राष्ट्रवादी आंदोलनों के जवाब में पेश किया गया था।
Key features of the Rowlatt Act
- आपातकालीन शक्तियाँ(Emergency Powers): इस अधिनियम ने सरकार को बिना किसी मुकदमे के व्यक्तियों को गिरफ़्तार करने और उन्हें दो साल तक हिरासत में रखने की अनुमति दी। इसने संदिग्ध व्यक्तियों की निगरानी की भी अनुमति दी।
- नागरिक स्वतंत्रता पर प्रतिबंध(Restrictions on Civil Liberties): इस अधिनियम ने निष्पक्ष सुनवाई और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सहित नागरिक स्वतंत्रता को सीमित कर दिया। इसने अधिकारियों को असहमति को दबाने और राजनीतिक गतिविधियों पर अंकुश लगाने का अधिकार दिया।
- सार्वजनिक आक्रोश(Public Outcry): रॉलेट एक्ट के अधिनियमन को भारतीय नेताओं और आम जनता के व्यापक विरोध का सामना करना पड़ा, जिसके कारण विरोध और प्रदर्शन हुए। उल्लेखनीय रूप से, महात्मा गांधी ने इसके खिलाफ़ एक राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया।
- जलियाँवाला बाग हत्याकांड(Jallianwala Bagh Massacre): रॉलेट एक्ट के खिलाफ़ असंतोष 13 अप्रैल, 1919 को जलियाँवाला बाग हत्याकांड में परिणत हुआ, जब ब्रिटिश सैनिकों ने अमृतसर में एक शांतिपूर्ण सभा पर गोलीबारी की, जिसमें सैकड़ों भारतीय मारे गए। इस घटना ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ावा दिया।
3) असहयोग आंदोलन ( Non Cooperation Movement)
असहयोग आंदोलन (Non-Cooperation Movement) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण चरण था, जिसे महात्मा गांधी ने 1920 में शुरू किया। यह आंदोलन ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक शांतिपूर्ण और असहयोग का तरीका था।
प्रमुख बिंदु:
- उद्देश्य: इसका मुख्य उद्देश्य ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीय लोगों को एकजुट करना और असहयोग के माध्यम से स्वतंत्रता की मांग करना था।
- आंदोलन की शुरुआत: यह आंदोलन जालियनवाला बाग हत्याकांड और रॉलेट एक्ट के विरोध में शुरू किया गया था। गांधीजी ने भारतीय लोगों से ब्रिटिश सरकार के साथ किसी भी प्रकार का सहयोग न करने की अपील की।
- तरीके: लोगों को विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार करने, सरकारी स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ाई न करने, और सरकारी नौकरियों को छोड़ने के लिए प्रेरित किया गया।
- जन समर्थन: इस आंदोलन में किसानों, व्यापारियों, छात्रों और आम जनता ने बड़े पैमाने पर भाग लिया।
- समापन: यह आंदोलन 1922 में चौरी-चौरा घटना के बाद समाप्त हुआ, जब कुछ उग्रवादियों ने पुलिस थाने पर हमला कर दिया और कई पुलिसकर्मियों को मार दिया। गांधीजी ने इस घटना के कारण आंदोलन को वापस लेने का निर्णय लिया।
चौरी चौरा कांड (Chauri Chaura) 1922
चौरी चौरा घटना 4 फरवरी 1922 को उत्तर प्रदेश के चौरी चौरा नामक स्थान पर हुई थी। यह घटना भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हुई थी, जब महात्मा गांधी द्वारा चलाए जा रहे असहयोग आंदोलन के तहत एक बड़ी भीड़ ने पुलिस थाने पर हमला कर दिया। इस घटना में, पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाई, जिसके जवाब में लोगों ने गुस्से में आकर थाने में आग लगा दी, जिसमें 22 पुलिसकर्मी मारे गए।
इस घटना के परिणामस्वरूप, महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन को तत्काल वापस ले लिया, क्योंकि उन्होंने इसे अहिंसक रूप से चलाने का संकल्प लिया था। चौरी चौरा की यह घटना भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई।
4) खिलाफत आंदोलन (Khilafat Movement)
खिलाफत आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था, जो 1919 से 1924 के बीच चला। यह आंदोलन मुख्यतः मुसलमानों द्वारा किया गया था और इसका मुख्य उद्देश्य प्रथम विश्व युद्ध के बाद तुर्की के खलीफा (इस्लाम के धार्मिक नेता) की स्थिति को बचाना था।
5) सविनय अवज्ञा आंदोलन ( civil disobedience Movement)
सामाजिक अवज्ञा आंदोलन (Civil Disobedience Movement) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण चरण था, जिसे महात्मा गांधी ने 1930 में शुरू किया। इस आंदोलन का उद्देश्य ब्रिटिश शासन के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करना और भारतीय लोगों के अधिकारों की रक्षा करना था।
डांडी मार्च: 12 मार्च 1930 को गांधी जी ने साबरमती आश्रम से डांडी तक 240 मील की यात्रा शुरू की, जिसे “नमक सत्याग्रह” के नाम से जाना जाता है। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य नमक कानून का उल्लंघन करना था, जो ब्रिटिश सरकार द्वारा लगाया गया था।
6) नमक सत्याग्रह (salt March)
असहयोग आंदोलन के असफलता के पश्चात देश में एक ऐसे क्रांति की जरूरत थी जिसमें पुरे देश के लोग को शामिल किया जा सके । 1930 तक अंग्रेज द्वारा नमक पर कर लगाया जाता था और इसका एकाधिकार अंग्रेज के पास ही था । नमक का उपयोग देश का हर नागरिक करता था जिस वजह से सभी नमक सत्याग्रह के समर्थन में आये । साबरमती से दांडी तक पैदल यात्रा करके सभी ने समुद्र के किनारे नमक बनाकर नमक कानून का पूर्ण विरोध कर सविनय अवज्ञा का प्रदर्शन किया ।
प्रमुख तत्व:
- आंदोलन का नेतृत्व: इस आंदोलन का नेतृत्व मोहम्मद अली और शौकत अली जैसे नेताओं ने किया। ये दोनों भाई भारतीय मुसलमानों के प्रमुख नेता थे।
- गांधी जी का समर्थन: महात्मा गांधी ने इस आंदोलन का समर्थन किया और इसे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ जोड़ा। उन्होंने इसे असहयोग आंदोलन (Non-Cooperation Movement) के साथ मिलाकर चलाने की योजना बनाई।
- संपर्क और एकता: यह आंदोलन हिंदू-मुस्लिम एकता को बढ़ावा देने का प्रयास करता था। इसके तहत हिंदू और मुसलमान दोनों ने मिलकर ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष किया।
परिणाम:
- खिलाफत समिति: 1919 में, खिलाफत समिति की स्थापना की गई, जिसने आंदोलन को संगठित किया।
- असहयोग आंदोलन का हिस्सा: 1920 में, खिलाफत आंदोलन को महात्मा गांधी के असहमति आंदोलन के साथ जोड़ दिया गया।
- आंदोलन का अंत: 1924 में तुर्की में खलीफाई प्रणाली का अंत हो गया, जिसके बाद यह आंदोलन कमजोर पड़ गया।
7) भारत छोड़ो आंदोलन (Quit India Movement)
“भारत छोड़ो आंदोलन” (Quit India Movement) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण और निर्णायक चरण था, जो 1942 में शुरू हुआ। इस आंदोलन का उद्देश्य ब्रिटिश शासन को समाप्त करना और भारत को स्वतंत्रता दिलाना था।
पृष्ठभूमि:
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, ब्रिटिश सरकार ने भारत को युद्ध में शामिल करने का निर्णय लिया, बिना भारतीय नेताओं की सहमति के। इससे भारतीय जनता में असंतोष बढ़ा, और महात्मा गांधी ने इसे एक अवसर के रूप में देखा।
प्रमुख तत्व
- आंदोलन की शुरुआत: 8 अगस्त 1942 को मुंबई में ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी की बैठक में महात्मा गांधी ने “भारत छोड़ो” का नारा दिया। उन्होंने कहा, “करो या मरो” (Do or Die)।
- गांधी जी का नेतृत्व: महात्मा गांधी ने इस आंदोलन का नेतृत्व किया, जिसमें उन्होंने सभी भारतीयों से ब्रिटिश शासन के खिलाफ एकजुट होने की अपील की।
- सामाजिक और राजनीतिक एकता: यह आंदोलन सभी वर्गों और समुदायों को एकजुट करने का प्रयास था। इसमें छात्रों, किसानों, श्रमिकों और महिलाओं ने बढ़-चढ़कर भाग लिया।
- दमनात्मक कार्रवाई: ब्रिटिश सरकार ने आंदोलन को दबाने के लिए कठोर कदम उठाए। महात्मा गांधी और अन्य प्रमुख नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया, जिससे आंदोलन के नेतृत्व में कमी आई।
परिणाम
- आंदोलन का दमन: आंदोलन को कुचलने के लिए ब्रिटिश सरकार ने व्यापक दमनात्मक कार्रवाई की। कई नेता जेल गए और आंदोलन की गतिविधियों पर रोक लगा दी गई।
- जन जागरूकता: हालांकि आंदोलन को तुरंत सफलता नहीं मिली, लेकिन इसने भारतीय जनता में स्वतंत्रता के प्रति जागरूकता बढ़ाई और स्वतंत्रता संग्राम को नया उत्साह दिया।
- स्वतंत्रता की दिशा में कदम: भारत छोड़ो आंदोलन ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण मोड़ लाया और अंततः 1947 में भारत की स्वतंत्रता की दिशा में अग्रसर किया।
8) साईमन आयोग ( Simmon Commission)
साइमन कमीशन (Simon Commission) एक महत्वपूर्ण घटना थी जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हुई। इसका गठन 1927 में ब्रिटिश सरकार द्वारा किया गया था, और इसका उद्देश्य भारतीय संविधान में सुधारों की सिफारिश करना था। इस कमीशन का नाम सर जॉन साइमन के नाम पर रखा गया था, जो इसके अध्यक्ष थे।
पृष्ठभूमि:
- 1919 का रॉलेट एक्ट: भारतीयों में असंतोष बढ़ाने वाले कई कारकों में से एक था रॉलेट एक्ट, जिसने स्वतंत्रता के लिए आंदोलन को और तेज किया।
- गांधी जी का असहमति: महात्मा गांधी और अन्य भारतीय नेताओं ने इस कमीशन के गठन का विरोध किया, क्योंकि इसमें कोई भारतीय सदस्य नहीं था।
प्रमुख बातें:
- सदस्य: साइमन कमीशन में केवल ब्रिटिश सदस्य थे, जिसमें सर जॉन साइमन (अध्यक्ष), सर हेनरी क्रिप्स, और अन्य शामिल थे। इसमें कोई भी भारतीय सदस्य नहीं था, जिससे यह आंदोलन और भी विवादास्पद हो गया।
- विरोध: जब सिमन कमीशन भारत आया, तो इसका व्यापक विरोध हुआ। 30 अक्टूबर 1928 को लाहौर में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और अन्य राजनीतिक दलों ने इसका विरोध किया। लाला लाजपत राय जैसे प्रमुख नेताओं ने इस कमीशन के खिलाफ आवाज उठाई।
- लाला लाजपत राय की मृत्यु: 30 अक्टूबर 1928 को पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया, जिसमें लाला लाजपत राय गंभीर रूप से घायल हुए और बाद में उनकी मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु ने पूरे देश में गुस्से की लहर पैदा की।
- रिपोर्ट और सिफारिशें: साइमन कमीशन ने 1930 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें कुछ संवैधानिक सुधारों की सिफारिश की गई। लेकिन यह रिपोर्ट भारतीयों की अपेक्षाओं को पूरा नहीं कर पाई।
परिणाम
- संविधान में सुधार: साइमन कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर 1935 का भारत अधिनियम पारित किया गया, जिसने भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण बदलाव किए।
- भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में योगदान: साइमन कमीशन ने भारतीयों को एकजुट किया और स्वतंत्रता संग्राम को और तेज किया।
9) जलियाँवाला बाग हत्याकांड ( jalianwalabagh Massacre)
13 April 1919 को अमृतसर के एक मैदान में रोलक्ट नियम के अंतर्गत गिरफ्तार भारतीय क्रांति के रिहाई और नियम को वापस लेने के लिए देश के विभिन्न भाग से क्रांतिकारी इकट्ठा हुए थे । इसी दौरान जनरल डायर नामक अधिकारी ने सभी पर गोलियाँ चलवायी । जिसमें बहुत सारे भारतीय शहीद हुए । बाग का नाम जलियाँवाला बाग होने के वजह से इस घटना का नाम जलियाँवाला बाग हत्याकांड कहा जाता है ।
Objective question answer of nationalism in india
1) असहयोग आंदोलन को कोंग्रेस के किस अधिवेशन में पारित किया गया ?
a) फ़ैजपुर
b) कलकत्ता
c) नागपुर
d) अहमदाबाद
उत्तर – b
2) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(RSS) का स्थापना किसने और कब किया ?
a) महात्मा गॉंधी ,1920
b) के. बी. हेडगेवार, 1925
c) चित्तरंजन दास, 1926
d) मोहन भागवत, 2015
उत्तर- b
3) गदर पार्टी का स्थापना कब और किसने किया ?
a) 1916, चंद्रशेखर आजाद
b) 1918, महात्मा गाँधी
c) 1920, गुरदयाल सिंह
d) 1913, लाला हरदयाल
उत्तर – d
4) सरदार पटेल को सरदार की उपाधि किस आंदोलन में दिया गया ?
a) चम्पारण
b) बारदोली
c) खेड़ा
d) अहमदाबाद
उत्तर- b
5) पूर्ण स्वराज की माँग का प्रस्ताव कांग्रेस के किस अधिवेशन में पास हुआ ?
a) कलकत्ता
b) बेलगाम
c) कराँची
d) लाहौर
उत्तर- d
6) जालियाँवाला बाग हत्याकांड कब हुआ ?
a) 13 अप्रैल 1919
b) 14 अप्रैल 1919
c) 10 अप्रैल 1919
d) 13 मार्च 1919
उत्तर- a
7) भारत के लिए फैक्ट्री नियम कब लागू हुआ ?
a) 1871
b) 1885
c) 1881
d) 1911
उत्तर- c
8) लखनऊ समझौता कब हुआ ?
a) 1916
b) 1920
c) 1918
d) 1922
उत्तर- a
9) साइमन कमीशन का अध्यक्ष कौन था ?
a) एनी बेसेंट
b) माउंटबेटन
c) सरजोन साइमन
d) जवाहर लाल नेहरू
उत्तर- c
10) सविनय अवज्ञा आंदोलन कब हुआ ?
a) 1920
b) 1930
c) 1931
d) 1921
उत्तर – b
11) चंपारण सत्याग्रह कब हुआ ?
a) 1917
b) 1919
c) 1918
d) 1916
उत्तर- d
12) बिहार में संपूर्ण क्रांति का मुख्य नेता कौन था ?
a) नीतीश कुमार
b) राजकुमार शुक्ला
c) जय प्रकाश नारायण
d) महात्मा गॉंधी
उत्तर- c
13) भारतीय किसान संघ का प्रमुख नेता कौन था ?
a) जय प्रकाश नारायण
b) महेंद्र सिंह टिकैत
c) चौधरी चरण सिंह
d) भगत सिंह
उत्तर- b
14) ताड़ विरोधी आंदोलन कहाँ से शुरू हुआ ?
a) आंध्रप्रदेश
b) उत्तर प्रदेश
c) बिहार
d) महाराष्ट्र
उत्तर-a
Short answer question of nationalism in India 2025
1) आल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC) का स्थापना क्यों किया गया ?
2) असहयोग आंदोलन के कारणों और परिणामों का वर्णन करें ।
3) वर्नाक्यूलर प्रेस नियम क्या था ?
4) यंग इंडिया समाचार पत्र क्या है ?
5) राष्ट्रीय आंदोलन में प्रेस का क्या भूमिका रहा ?
6) रोलेट एक्ट क्या है ?
7) सविनय अवज्ञा आंदोलन के कारणों और परिणामों का वर्णन करें ।
8) भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में गांधीजी का क्या योगदान रहा ? वर्णन करें ।
9) असहयोग आंदोलन प्रथम जन आंदोलन था कैसे ?
10) जालियाँवाला हत्याकांड का वर्णन करें ।
11) भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के विकास में प्रथम विश्वयुद्ध ने कैसे मदद किया ?
12) साइमन आयोग (simmon commison) क्या था ?
13) गाँधीजी ने असहयोग आंदोलन वापस क्यों लिया ?
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